padoshi

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O nama

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जैसे ही रात के दस बज़ते हैं मेरी मम्मी बोलती है।

कविता रात बहुत हो गई है अब सो जाओ।

मैं समझ जाती हूँ कि वो मुझे इसलिए सोने को बोल रही है क्योंकि मानव आने वाला है।

मैं मम्मी को बोलती हूँ कि मम्मी अभी तो दस ही बजे है।

नॉर्मली भी हम बारह बजे सोते हैं तो आज इतनी जल्दी क्यों।

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